कविता का विषय:
यह कविता एक मजदूर के जीवन के संघर्षों और उसकी कठिन मेहनत का मार्मिक चित्रण करती है। कवि ने मजदूर के दैनिक जीवन, उसकी चुनौतियों, और उसके अस्तित्व के लिए किए जाने वाले संघर्ष को बड़ी ही भावुकता से व्यक्त किया है।
पसीने की बूंदें, धरती पर बिखरी,
मजदूर के जीवन, कठिन परीक्षा की घड़ी।
हाथों में मज़दूरी, दिल में संघर्ष की लौ,
खुद को संभालना, जीवन की राहों में झौंका।

सूर्य की किरणों से पहले, उठता है वो,
अँधेरे में ही, कर्म का बीज बोता है वो।
पेट की आग, शरीर को जलाती है,
परिवार की रोटी, उसे दिलाती है।

ठंड की रातें, गर्मी के दिन,
सहन करता है सब, बिना किसी शिकायत के सिमटिन।
पत्थर तोड़ता है, मकान उठाता है,
अपने अस्तित्व की, रक्षा करता है।

नहीं मिलता सम्मान, नहीं मिलता आदर,
फिर भी करता है काम, बिना किसी फरियाद के।
मजदूरी की रोटी, कड़वी होती है,
पर बच्चों के मुँह में, मीठी लगती है।

एक दिन आएगा, जब बदलेगी ये कहानी,
मजदूर का मान, होगा पूरे जहानी।
तब तक संघर्ष जारी रहेगा,
मजदूर के जीवन का, नया अध्याय लिखा जाएगा।

कविता की प्रमुख विशेषताएं:
- वास्तविकता का चित्रण: कवि ने मजदूर के जीवन की कठोर वास्तविकता को बिना किसी अतिशयोक्ति के चित्रित किया है। पसीने की बूंदें, ठंड की रातें, गर्मी के दिन, ये सब मजदूर के जीवन का अटूट हिस्सा हैं।
- संघर्ष का प्रतीक: मजदूर के जीवन को संघर्ष का प्रतीक बनाकर कवि ने उसकी अहमियत को उजागर किया है। मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए हर मुश्किल का सामना करता है।
- समाज का दर्पण: यह कविता समाज के उस वर्ग को दर्शाती है जो दिन-रात मेहनत करता है लेकिन उसे उचित सम्मान नहीं मिलता।
- आशावाद का संदेश: कविता के अंत में कवि ने आशावाद का संदेश दिया है कि एक दिन मजदूर का मान बढ़ेगा और उसका जीवन बेहतर होगा।
कविता का भाव:
कविता में मजदूर के प्रति गहरी सहानुभूति और सम्मान झलकता है। कवि ने मजदूर के जीवन के कठिन पक्षों को उजागर करते हुए भी उसकी मानवीय गरिमा को बरकरार रखा है।
कविता का प्रभाव:
यह कविता पाठक को मजदूरों के जीवन के प्रति संवेदनशील बनाती है और उन्हें उनके योगदान को पहचानने के लिए प्रेरित करती है। यह कविता समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ भी एक आवाज उठाती है।
निष्कर्ष:
“मजदूरी की रोटी” एक ऐसी कविता है जो मजदूरों के जीवन के संघर्षों को बड़ी ही मार्मिकता से व्यक्त करती है। यह कविता हमें मानवीय मूल्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारी के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
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बोलो बाबा रामसा पीर की जय
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