एमपीएससी प्रीलिम्स 2024 में शराब से जुड़े सवाल पर विवाद
महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2024 में एक सवाल को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। यह सवाल शराब पीने और नैतिक निर्णय पर आधारित था, जिसे कई लोग सिविल सेवा परीक्षा के उद्देश्य से भटका हुआ मान रहे हैं।
परीक्षा की तारीख और संभावित परिणाम
एमपीएससी प्रीलिम्स 2024 का आयोजन 1 दिसंबर को हुआ। परीक्षा का परिणाम मार्च 2025 में जारी होने की उम्मीद है। हालांकि, परीक्षा समाप्त होते ही इस विवादास्पद सवाल ने परीक्षा और आयोग दोनों को सुर्खियों में ला दिया है।
विवादित सवाल क्या था?
प्रश्न: “आपके दोस्त शराब पीते हैं और आपको भी ऐसा करने के लिए प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। अगर आप उनके साथ नहीं जाना चाहते हैं और खुद को शराब पीने की आदत से दूर रखना चाहते हैं, तो आप क्या करेंगे?”
विकल्प:
- मैं अपने दोस्तों को कहूंगा कि मेरे पैरेंट्स ने मुझे शराब पीने से मना किया है।
- मैं शराब पीने से इनकार कर दूंगा।
- शराब पी लूंगा, सिर्फ इसलिए क्योंकि मेरे दोस्त पी रहे हैं।
- मना कर दूंगा और झूठ बोल दूंगा कि मुझे लिवर की समस्या है।
विवाद की वजह
यह सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और इसके बाद से लोगों ने एमपीएससी की पेपर सेटिंग प्रक्रिया पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
आलोचना के मुख्य बिंदु
- परीक्षा के उद्देश्य से भटकाव: कई लोगों का मानना है कि इस सवाल का सिविल सेवा परीक्षा के मूल उद्देश्य से कोई संबंध नहीं है।
- सिविल सर्वेंट की जिम्मेदारियों से असंगत: इस सवाल को सिविल सर्वेंट के कर्तव्यों और नैतिक जिम्मेदारियों के संदर्भ में अप्रासंगिक बताया जा रहा है।
- अखिल भारतीय सेवा के लिए अनुपयुक्त: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सवाल उम्मीदवारों की योग्यता का सही मूल्यांकन नहीं कर सकते।
नैतिक निर्णय क्षमता का तर्क
वहीं, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह सवाल उम्मीदवारों की नैतिक निर्णय लेने की क्षमता को परखने के उद्देश्य से दिया गया हो सकता है। हालांकि, इस पर भी व्यापक सहमति नहीं है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर यह सवाल पोस्ट होने के बाद बहस छिड़ गई। लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस तरह के सवाल पब्लिक सर्विस कमिशन जैसी परीक्षा में पूछे जाने चाहिए।
क्या आयोग ने कोई प्रतिक्रिया दी?
वर्तमान में आयोग की तरफ से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
निष्कर्ष
यह विवादित सवाल एक बड़ी बहस का कारण बन गया है, जिसमें परीक्षा के उद्देश्य और पेपर सेटिंग प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आयोग को इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके।
सुझाव
इस तरह की परीक्षाओं में सवालों को अधिक प्रासंगिक और उद्देश्यपूर्ण बनाया जाना चाहिए, जो उम्मीदवारों की वास्तविक योग्यता और जिम्मेदारी निभाने की क्षमता को परख सके।