खुशियों का कोई चारा नहीं,
खुश रहना ही है जीने का तरीका।
हर स्कूल की दीवार पर लिखा है,
नियम तोड़ना है मना, यही है सच्चाई।
हर बाग में खड़ा है एक बोर्ड,
फूल तोड़ना मना है, ये है हमारी आदत।
हर खेल में सुनाई देती है आवाज,
किसी नियम को तोड़ना मना है, यही है जीत का राज।
काश!
रिश्तों में भी लिखा होता,
किसी का हाथ छोड़ना है मना, यही है हमारी सच्ची दोस्ती।
कितनी अजीब है यह दुनिया,
जहाँ खुश रहना है एक चुनौती,
पर फिर भी, साथ निभाना चाहिए,
क्योंकि रिश्तों का मोल है अनमोल।
निष्कर्ष:
इस कविता के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि खुश रहना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। रिश्तों, परिवार और दोस्ती की अहमियत को समझना और उन पर ध्यान देना आवश्यक है। जैसे स्कूल, बाग और खेलों में नियम होते हैं, वैसे ही जीवन में भी कुछ अनकहे नियम होते हैं, जिनका पालन करना चाहिए। हमें चाहिए कि हम अपने रिश्तों को सहेजें और कभी किसी का साथ छोड़ने की सोचें भी नहीं। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम खुशियों को अपने जीवन में अपनाएं और सच्चे संबंधों को बनाए रखें।