यह कविता वाकई दिल को छू लेने वाली है। आपने इस पंक्ति “अपने आप को ढूंढो, बाकी गूगल पर है” को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है।
अपने आप को ढूंढो, बाकी गूगल पर है
अपने आप को ढूंढो, ये ज़रूरी है सबसे,
जो सवाल अंदर उठे हैं, वो मिलते नहीं गूगल से।
जहाँ हर जवाब की तलाश इंटरनेट पर होती है,
वहाँ आत्मा की गहराई, कहीं खोती सी लगती है।
हर जानकारी एक क्लिक में हाज़िर है,
मगर जो सवाल दिल से हैं, वो किधर है?
खुद को जानने की राह, आसान नहीं होती,
ये सर्च बार नहीं, यहाँ तो मेहनत की ज़रूरत होती।
ख़्वाबों का पता, नक्शे में नहीं मिलता,
रास्ता जो दिल में है, उसे कोई ऐप नहीं दिखाता।
हर दिन थोड़ा-थोड़ा, खुद में खो जाओ,
सवाल तुम हो, जवाब भी तुम ही पाओ।
गूगल से बाहर की दुनिया भी समझो,
जो भीतर है, उस खजाने को भी कभी खोजो।
अपने आप को ढूंढो, ये सफर बड़ा खास है,
बाकी सब कुछ गूगल पर ही पास है।
कविता का सार:
कविता का मुख्य संदेश है कि हमारी दुनिया आजकल डिजिटल हो गई है। हर जानकारी हमें एक क्लिक की दूरी पर मिल जाती है। लेकिन, इस सबके बीच हम खुद को खोते जा रहे हैं। हम अपनी आंतरिक दुनिया की अनदेखी करते हैं और बाहरी दुनिया में खोए रहते हैं।
कविता हमें याद दिलाती है कि गूगल हमें दुनिया के बारे में बहुत कुछ बता सकता है, लेकिन यह हमें खुद के बारे में कुछ नहीं बता सकता। खुद को जानने के लिए हमें अपनी आंतरिक यात्रा करनी होगी। हमें अपने मन, अपने दिल की आवाज को सुनना होगा।
कविता का प्रभाव:
यह कविता पाठकों को आत्म-खोज की यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित करती है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम जीवन में क्या चाहते हैं और हम कौन हैं। यह कविता हमें याद दिलाती है कि हमारी खुशी हमारे भीतर ही छिपी है।
अंत में:
यह कविता एक बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक रचना है। यह हमें जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती है।