इश्क़ की ग़ज़ल
यह ग़ज़ल बेहद खूबसूरती से इश्क़ के दर्द और प्यार की तड़प को बयान करती है।इस ग़ज़ल में शायर ने अपने प्रेमी के प्रति गहरे प्यार और मोहब्बत को बहुत ही खूबसूरती से बयान किया है।
❤️दिल की गहराइयों में, बस एक ही नाम है,
तेरे बिना ये ज़िन्दगी, जैसे अधूरा पैग़ाम है।
❤️तेरे ख्यालों में खोकर, रातें बसर करता हूँ,
तेरे बिना ये दिल, जैसे बेबस गुलाम है।
❤️हर साँस में बसा है, तेरा ही एहसास,
तेरे बिना ये सांसें, जैसे थमी हुई शाम है।
❤️तेरे बिना ये आंखें, अश्कों से भरी रहती हैं,
तेरे बिना ये दुनिया, जैसे सूनी हर राह है।
❤️इश्क़ की राह में, तुझसे ही उम्मीद है,
तेरे बिना ये सफर, जैसे बेमकसद काम है।
❤️तेरे प्यार में जीता हूँ, तुझसे ही है हर बात,
तेरे बिना ये दिल, जैसे तन्हा मयख़ाना है।
❤️हर लफ्ज़ में छुपा है, तेरा ही सुरूर,
तेरे बिना ये शेर, जैसे बेजान कलाम है।
❤️बस तू ही है मेरी ग़ज़ल, तू ही है मेरा राग,
तेरे बिना ये दिल, जैसे बेसुरा कोई साज़ है।
ग़ज़ल का भाव:
- अधूरापन: प्रेमी को लगता है कि प्रियतम के बिना उसकी ज़िंदगी अधूरी है।
- निर्भरता: प्रेमी प्रियतम पर पूरी तरह निर्भर है।
- प्रेम की तीव्रता: प्रेमी का प्रेम इतना गहरा है कि वह प्रियतम के बिना जी नहीं सकता।
- एकता: प्रेमी और प्रियतम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
- अंतहीन प्रेम: प्रेमी का प्रेम अमर है और कभी खत्म नहीं होगा।
यह ग़ज़ल उन सभी प्रेमियों के लिए है जो अपने प्रियतम से दूर हैं और उन्हें याद करते हैं।
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