विषय: यह कविता एक शहीद जवान को समर्पित है। इसमें उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, जैसे कि उसका बचपन, देश सेवा का जुनून, सरहद पर उसकी ड्यूटी, और अंततः उसके बलिदान। कविता में शहीद के परिवार के दुख और देशवासियों के शोक को भी बड़े मार्मिक ढंग से चित्रित किया गया है।
सीने से लाल जोड़ा, सर पर तिलक चढ़ा,
युवा जोश की आग, दिल में धधका।
माँ की आँखों का तारा, पिता का अभिमान,
देश की सेवा के लिए, निकला था प्रस्थान।
सरहद की रातें, काली, ठंडी, लंबी,
पर वीर सपूत, डटे रहे दृढ़ निश्चयी।
दुश्मन की गोली, आई सीने पर,
वतन की रक्षा में, बलिदान हुआ वीर।
खबर आई घर में, जैसे बिजली कड़की,
माँ का रोना, पिता का विलाप, दिल दहला दी।
गाँव भी शोक में डूबा, सारा जग रुका,
वीर शहीद की याद में, हर घर में सन्नाटा छाया।
राष्ट्रगान बजता, जब भी कहीं,
आँखें नम होतीं, देश की जवानियाँ।
शहीद के बलिदान की, गूँजती है कहानी,
देशभक्ति की मशाल, जलती रहती निशानी।
माँ के लाल, तू वीर है सच्चा,
तेरा बलिदान, रहेगा अमर, सदा।
तेरे नाम पर, नई पीढ़ी बढ़ेगी,
देश की रक्षा के लिए, वचन लेगी।
यह कविता एक शहीद जवान के बलिदान और उसके परिवार के दुःख को दर्शाती है। साथ ही, देश के प्रति उसके समर्पण को भी रेखांकित करती है।
भावनाएं: कविता में देशभक्ति, बलिदान, शोक, गर्व, और आशा जैसी भावनाएं प्रबल रूप से व्यक्त हुई हैं।
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