सरफिरा एक भारतीय हिंदी भाषा की ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन सुधा कोंगारा ने किया है। यह फिल्म तमिल फिल्म “सोआरारई पोट्ट्रु” की रीमेक है, जो खुद जी. आर. गोपीनाथ की आत्मकथा “सिम्पली फ्लाई: ए डेक्कन ओडिसी” पर आधारित है।
कहानी
फिल्म की कहानी वीर जगन्नाथ म्हात्रे नामक एक मध्यवर्गीय व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जो महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव से आता है। वीर का सपना है कि वह कम लागत वाली एयरलाइन शुरू करके आम लोगों के लिए हवाई यात्रा को सुलभ बनाए। वह मानता है कि बदलाव लाने और अत्याचार को खत्म करने के लिए किसी को जिम्मेदारी लेनी ही पड़ती है।
सरफिरा फिल्म के मुख्य कलाकार
निर्माण
फिल्म का निर्माण 2D एंटरटेनमेंट, एबंडेंटिया एंटरटेनमेंट और केप ऑफ गुड फिल्म्स ने किया है। यह अक्षय कुमार की 150वीं फिल्म है।
समीक्षा(review)
क्या आपने सरफिरा देखी? नहीं? तो फिर आपने कुछ मिस किया है!
अक्षय कुमार ने तो इस बार सच में उड़ान भरने की कोशिश की है। एक पायलट से आम आदमी के लिए सस्ती फ्लाइट्स का सपना देखने वाला हीरो! काश, सपना ही रह जाता!
अक्की का एक्शन: अक्षय ने तो जान लगा दी इस रोल के लिए। उड़ान भर रहा है, दौड़ रहा है, लड़ रहा है, रो रहा है, सब कुछ कर रहा है। लेकिन यार, एक ही एक्सप्रेशन बार-बार देखकर थक गए ना हम!
परेश रावल का पंच: अब परेश रावल हैं तो मजा तो आना ही था। वो तो हर फिल्म में धमाल मचाते हैं। यहां भी उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है।
राधिका मदान की उड़ान: राधिका ने भी अच्छी कोशिश की है, लेकिन उनके किरदार को थोड़ा और मसाला चाहिए था।
फिल्म की कहानी तो अच्छी है, एक आम आदमी का सपना देखना, उसे पूरा करने की जद्दोजहद, सब कुछ है। लेकिन यार, ये सब तो हमने पहले भी देखा है ना! थोड़ा नयापन चाहिए था।
फिल्म देखने जा रहे हो? तो तैयार रहना एकदम सीधी-सादी कहानी के लिए, अक्षय के ओवरएक्टिंग के लिए और परेश रावल के दमदार डायलॉग्स के लिए। अगर ये सब पसंद है तो जाओ, उड़ान भर लो सिनेमाघर में। वरना, थोड़ा और इंतजार कर लो, शायद कोई और अच्छी फिल्म आ जाए!
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