कहानी:(story)
किल” की कहानी अमृत, जो एक NSG कमांडो है, और उसकी प्रेमिका तुलिका के इर्द-गिर्द घूमती है. एक मिशन पर रहते हुए, अमृत को पता चलता है कि तुलिका की सगाई किसी और से हो गई है. वहीं दूसरी तरफ, तुलिका अपने परिवार के साथ ट्रेन में दिल्ली जा रही होती है. इत्तेफाक से, अमृत भी उसी ट्रेन में तुलिका से मिलने के लिए सवार हो जाता है. लेकिन इसी ट्रेन में फणी नाम का गैंगस्टर भी अपने 40 लोगों के साथ चढ़ता है, जिसका इरादा ट्रेन को लूटना होता है. यहीं से कहानी में एक जबरदस्त मोड़ आता है और मामला सिर्फ डकैती से कहीं आगे बढ़ जाता है. अब फिल्म में अमृत, तुलिका और फणी के बीच एक घातक खेल शुरू हो जाता है.
** समीक्षा (Review)**
एक्शन (Action): “किल” की सबसे बड़ी ताकत इसका एक्शन है. फिल्म में शुरूआती 20-25 मिनट के बाद ही धुआंधार एक्शन शुरू हो जाता है, जो लगभग पूरे फिल्म में बना रहता है. खास बात ये है कि एक्शन सीन्स काफी रियलिस्टिक और क्रूर हैं. फिल्म में आप हथियारों के बजाय चाकू, दरांती जैसे आम हथियारों का इस्तेमाल देखेंगे.
सिनेमाटोग्राफी (Cinematography):फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी लाजवाब है, खासकर ट्रेन के डिब्बों में होने वाले सीमित स्थान में फिल्माए गए एक्शन को शानदार तरीके से कैद किया गया है.सिनेमेटोग्राफर राफे महमूद की तारीफ बनती है जिन्होंने कैमरा मूवमेंट और लाइटिंग का कमाल कर दिया है।
गाने(song)
कुल मिलाकर गाने कम ही हैं: फिल्म में ज्यादा गाने नहीं हैं, और जो हैं वो कहानी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका नहीं निभाते।
आप फिल्म के गाने सुनकर खुद ही राय बना सकते हैं. फिल्म के कुछ गाने हैं “काववा काववा”, “निकट” और “जाको राखे सांयां”
कहानी में कमी (Lackluster Story)
कहानी में कमी (Weak Storyline): दमदार एक्शन के चक्कर में कहानी थोड़ी कमजोर पड़ जाती है. कई जगहों पर कहानी में तार्किक कमी भी नजर आती है
बहुत ज्यादा हिंसा (Excessive Violence): एक्शन सीन्स (हालांकि) काफी रियलिस्टिक हैं, लेकिन हिंसा की मात्रा कुछ ज्यादा ही है. कई दृश्य काफी खूनी हैं जिन्हें देखना मुश्किल हो सकता है .
देखें या ना देखें?
अगर आप एक्शन से भरपूर फिल्में पसंद करते हैं, तो “किल” आपको जरूर पसंद आएगी। लेकिन अगर आप एक मजबूत कहानी और गहरे किरदारों वाली फिल्म की तलाश में हैं, तो आप थोड़े निराश हो सकते हैं।
अमृत का सफर – बदला? या वादा? आप तय करें।
3.5 out of 5 stars